মোহনের হোলি

              রোমান্টিক গল্প ও কবিতা 

      


    


মানুষ বদলায় সবাই,

                       কেউ কিছু পেয়ে বদলে যায়

                      কেউ কিছু না পেয়ে বদলে যায় 

                                              আরো

                   কিছু হারিয়ে বদলে যায় .


STORY ---- 

                গরীবের হোলি            


এক ছিল মোহন, তার স্ত্রী কিছুদিন আগে মারা গিয়েছিল, তার উপর হাতে কিছু কাজ ছিল না ,

কেননা ফ্যাক্টরি বন্ধ হয়ে গিয়েছিল । মোহনের একটি ৭ বছরের মেয়ে ছিল,তার নাম রিয়া,

মোহন প্রতিদিনের মতো কাজের সন্ধানে খুজে বেড়াচ্ছে, আর খালি হাতে বাড়ি ফিরতে হতো তাকে।

রিয়া জানত তার বাবা হয়তো কুলির কাজ করে,বা কোনো জমিদারের বাড়িতে ঝাড়ুর কাজ করে ঘরের দু মুঠো ভাত জুটতো ।

প্রতিদিনের মতো মোহন কাজে বেরায়িয়া দেখে হোলির জন্য রং পিচকারি বাজারে বিক্রি হচ্ছে, 

                             রং পিচকারি দোকান দেখে মোহন দোকান মালিকের দিকে এগিয়ে যায়, কাজের সন্ধানে,

                কিন্তু মোহন নিরাশ হয় ,

   তাকে দুর - দুর- দুর করে তাড়িয়ে দেয় ।


আর জমিদার গাড়ি নিয়ে চলে যায়,মোহন পিছন ফিরে দেখে দোকানে যেন কালো ব্যাগ পড়ে আছে।

এদিকে মোহনের মেয়ে রিয়া ভগবানের কাছে প্রার্থনা করে তার বাবা যেন টাকা পয়সা কিছু না, যেন একটা কাজের সন্ধান মেলে ।


এদিকে মোহন কালো ব্যাগ খুলে দেখ এ ,ব্যাগ  প্রচুর টাকা পয়সা ভর্তি আছে, তার পর মোহন ভাবতে থাকে, টাকা পয়সা নেওয়া ঠিক নয়, তারপর গাড়ি যে রাস্তায় ছুটে ছিল, মোহন সে রাস্তায় ছুটে যায়, কিন্ত মোহন কে গাড়ি মেলেনি , তখন মোহন রাস্তায় চলতে থাকে, কিছু দুর যাবার পর দেখি ,

              ব্যাগ মালিক একটি হাসপাতালের সামনে তার স্ত্রীর সাথে কান্না কাটি করছে । কিন্তু না বুঝি মোহন বলে মালিক আপনার ব্যাগ।

তা দেখে মালিক বলে, এ ব্যাগ জন্য একজন মানুষ আমার ছেলেকে রক্ত না দিয়ে চলে গেছে, এ কথা শুনে ,,,

   কিন্তু মোহন মালিকের ছেলে কে র রক্ত দিয়ে যাবার সময়,.                   মালিক বলে-- 

এ ব্যাগ তুমি নিয়ে যাও ,ব্যাগ তোমার অধিকার ,  মোহন বলো মালিক এ হয় না, বলে বাড়ি ফিরে আসে । হোলির দিন ছিল,,,, বাড়ি ফিরে দেখে তার মেয়ে রিয়া ও পাশের বাড়ির ছোট্ট ছোট্ট বাচ্চাদের হাতে রং পিচকারি , তখন দেখে মোহন তার বাড়ীর ভেতর থেকে মালিক ও তার স্ত্রী বেরিয়ে বাইরে আসছে , তা দেখে মোহনের চোখ ভরে যায় মালিক বলে ওঠে তুমি আমায় ক্ষমা করে দিও কেননা আমি খারাপ তোমাকে আমি বুঝতে পারিনি,' তোমার বাড়িতে আমি টাকার ব্যাগটা রেখে দিয়ে গেলাম ও মোহনা তোমার জন্য একটা কাজও রেখেছি, এস বলে  চলে গেল মালিক--- 

   রিয়া বাড়ির ভেতর থেকে বলতে থাকে বাবা , ভগবান আমার  প্রার্থনা শুনেছেন।

    


শিক্ষা•••••  

  ভদ্র ব্যবহার করা উচিৎ

                তবে বেশি ভদ্রতা ঠিক নয়।

                                     কারণ

                    কিছু মানুষ আছে 

            বোঝেনা ভাষা ভদ্রতার ।

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HINDI

  हर कोई लोगों को बदलता है, किसी को कुछ मिलता है और बदलता है किसी को कुछ नहीं मिलता और बदल जाता है अधिक कुछ खोया और बदला है। कहानी ---- गरीबों की होली एक मोहन था, कुछ दिनों पहले उसकी पत्नी की मृत्यु हो गई थी, उसके पास करने के लिए कुछ नहीं था, क्योंकि फैक्ट्री बंद थी। मोहन की एक 8 साल की बेटी थी जिसका नाम रिया था, मोहन हर दिन काम की तलाश में है, और उसे खाली हाथ घर लौटना पड़ा। रिया जानती थी कि उसके पिता ने कुली का काम किया होगा, या एक जमींदार के घर में झाड़ू-पोछा करने वाले के रूप में। हर दिन काम पर मोहन बरैया को देखकर, होली के लिए पेंट स्प्रे बाजार में बेचे जा रहे हैं, पेंट स्प्रेयर की दुकान देखकर, मोहन दुकान के मालिक की ओर चलता है, नौकरी की तलाश में लेकिन मोहन निराश है, उनका पीछा किया गया। और जमींदार कार को दूर ले गया, मोहन ने पीछे देखा जैसे दुकान में एक काला बैग था। इस बीच, मोहन की बेटी रिया भगवान से प्रार्थना करती है कि उसके पिता के पास कोई पैसा नहीं है, ताकि वह नौकरी पा सके। इस बीच मोहन ने काले बैग को खोला और देखा कि बैग पैसे से भरा हुआ है, तो मोहन सोचने लगा, पैसे लेना सही नहीं है, फिर गाड़ी सड़क पर दौड़ रही थी, मोहन सड़क पर दौड़ गया, लेकिन मोहन मैच नहीं हुआ कार, ​​फिर मोहन सड़क पर चला। बैग मालिक अपनी पत्नी के साथ अस्पताल के सामने रो रहा है। लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मोहन आपके बैग का मालिक है। यह देखकर, मालिक ने कहा, "इस बैग के लिए मेरे बेटे को खून दिए बिना एक आदमी चला गया।" लेकिन जब मोहन मलिक का बेटा के। के खून से गुजरा। मालिक कहता है-- आप इस बैग को ले लीजिए, बैग आपका अधिकार है, मोहन कहता है कि मालिक यहाँ नहीं है, वह घर वापस आ गया। होली का दिन था, ,,,, जब वह घर लौटा, तो उसने अपनी बेटी रिया और घर के छोटे बच्चों को देखा, अगले दरवाजे पर उस पर पेंट छिड़का, फिर उसने देखा कि मोहन उसके घर से बाहर आ रहा है, मलिक और उसकी पत्नी बाहर आ रहे थे, मोहन की आंखों में आंसू भर आए, मालिक ने कहा कि तुम मुझे माफ कर दो क्योंकि मैं बुरा हूं। मैं तुम्हें समझ नहीं पाया। रिया घर के अंदर से कहती रही, पिताजी, भगवान ने मेरी प्रार्थना सुनी है। शिक्षा। विनम्रता से इस्तेमाल किया जाना चाहिए लेकिन बहुत अधिक राजनीति करना सही नहीं है। इसलिये वहाँ कुछ लोग हैं मैं भाषा नहीं समझता।

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